*भगवान महावीर के संदेश आज और भी अधिक प्रासंगिक: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल*

*भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव में शामिल हुए मुख्यमंत्री*

*भगवान महावीर के संदेश आज और भी अधिक प्रासंगिक: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल*
*भगवान महावीर के संदेश आज और भी अधिक प्रासंगिक: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल*

रायपुर, 05 अप्रैल 2023/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज देर रात राजधानी रायपुर के एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में सकल जैन श्रीसंघ द्वारा आयोजित भगवान महावीर जन्मकल्याणक महोत्सव में सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने दादाबाड़ी परिसर स्थित जैन मंदिर में पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव समिति से अध्यक्ष श्री मनोज कोठारी, श्री सुशील कोचर, श्री विजय गंगवाल, श्री पारस चोपड़ा सहित समिति के अनेक सदस्यगण उपस्थित रहे। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि भगवान महावीर का जन्म समाज के कल्याण के लिए हुआ था। ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होंने जो संदेश समाज को दिया वह आज और भी अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने हमें सिखाया कि प्रकृति से हमें उतना ही लेना चाहिए, जितनी हमें जरूरत है। इसका पालन नहीं करने का ही परिणाम यह हुआ कि आज ग्लोबल वार्मिंग से दुनिया परेशान है। भगवान महावीर का सबसे बड़ा संदेश अहिंसा का सिद्धांत है। भगवान महावीर का अहिंसा का सिद्धांत कमजोर लोगों का सिद्धांत नहीं है। यदि भगवान महावीर के सन्देश को विश्व अपना ले तो युद्ध न हों। आज भगवान महावीर के संदेश की आवश्यकता पहले से ज्यादा है। भगवान महावीर के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। भगवान महावीर 26 सौ साल पहले जो बात कही, महात्मा गांधी ने उन्हीं के रास्ते पर चलकर अहिंसा की ताकत से देश को आजाद करा दिया। भारत एकमात्र देश है जिसकी आजादी की लड़ाई अहिंसा से लड़ी गयी। यह सिद्धांत भगवान महावीर द्वारा दिया गया। भगवान महावीर ने जीवों पर दया करने की बात कही। भगवान महावीर का संदेश विश्व कल्याण के लिए है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार भी भगवान महावीर के रास्ते पर चल रही है। हम मजदूरों और किसानों की सेवा कर रहे है। जैन समाज एक व्यापारी समाज है। व्यापार व्यवसाय पिछले 4 सालों में लगातार बढ़ा है। लोगों को रोजगार मिल रहा है, व्यापार फल-फूल रहा है। छत्तीसगढ़ नक्सलवाद के नाम से जाना जाता था। बस्तर की धरती जिसकी पहचान हरियाली थी। वह रक्तरंजित हो गई थी। आज बस्तर में नक्सलवाद सिमट कर रह गया है।