बलरामपुर जिले में आज भी कुछ इलाके ऐसे है जहाँ ग्रामीण नदी नालों का पानी पीने के लिए मजबूर है
बलरामपुर जिले में आज भी कुछ इलाके ऐसे है जहाँ ग्रामीण नदी नालों का पानी पीने के लिए मजबूर है
बलरामपुर जिले में आज भी कुछ इलाके ऐसे है जहाँ ग्रामीण नदी नालों का पानी पीने के लिए मजबूर है,,गांव में न तो बिजली है और न ही सड़क,,
स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में कई ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है ,,ग्रामीण शाशन प्रशासन पर उपेक्षा करने का आरोप भी लगा रहे है ,,,वही मामले में जिले के कलेक्टर ने गांव में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही हैं।
""इलाज के अभाव में ग्रामीणों की हो चुकी है मौत""
जी हा हम बात कर रहे है बलरामपुर जिले में गुरमुटी गांव के मढ़ना से लगे हुए धौरपुर गांव की जहाँ पर करीब 10 से 12 घरो की आबादी निवास करती है और यहाँ की जनसंख्या करीब 50 से 60 के आसपास है,,
आपको बता दे कि ये गांव नदी और जंगलों से घिरा हुआ गांव है यहाँ तक पहुचने के लिए मोरन और इरिया दो बड़ी नदियों को पार करना पड़ता है और दूसरी ओर 10 किलोमीटर का जंगली रास्ता तय करके सूरजपुर जिले के गोविंदपुर पहुचना पड़ता है,इसी कारण है गांव तक एम्बुलेंस नही पहुचती है जिससे समय पर इलाज नही मिलने से ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है,,,
""नदी और नाले का पानी पीने के लिए मजबूर है ग्रामीण""
गांव में पेयजल के लिए मनरेगा से कुआ तो बना हुआ है लेकिन गहराई कम होने की वजह से कुएं में पानी नही है और ग्रामीण नदी का पानी पी रहे है ,
ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में नदी में बाढ़ की स्थिति बन जाने के बाद गांव टापू में तब्दील हो जाता है ,,और फिर ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है इसके अलावा ग्रामीण अपना पीडीएस का राशन लेने भी नही जा पाते इसलिए उन्हें बरसात के समय दो या तीन माह का राशन इकट्ठा करके घर मे रखना पड़ता है ,,
""सौर ऊर्जा की बैटरी भी दे चुकी है जवाब""
गांव में बिजली की ब्यवस्था नही है प्रशासन ने वैकल्पिक तौर पर करीब पाँच वर्ष पहले सोलर लाइट की ब्यवस्था की थी लेकिन सोलर की बैटरी अब खराब हो चुकी है और क्रेडा विभाग इसकी मरम्मत भी नही करवा रहा है जिससे ग्रामीणों को अंधेरे में ही गुजर बसर करना पड़ता है ,,,
""हाथियो ने तोड़ा है कई घरो को""
धौरपुर गांव रिर्जव फारेस्ट में बसा हुआ है और यहाँ हाथियो का उत्पात भी देखने को मिलता रहता है जिससे ग्रामीणों को हमेशा डर बना रहता है और आज भी गांव में कई ऐसे घर है जिन्हें हाथियो ने तोड़ दिया है,,,
""नेता करते है झूठे वादे ""
ग्रामीणों के मुताबिक चुनाव के समय जनप्रतिनिधियों द्वारा गांव में आकर झूठे वादे किए जाते है, चुनाब बित जाने के बाद कोई झाँकने तक नही आता है ,
वही मामले में कलेक्टर गांव में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने और समय-समय पर स्वास्थ्य कैंप लगाने की बात कही है।