*भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा ट्रेनें रद्द करवाने पर साधा निशाना*
*सस्ती ट्रेनों को बंद कराकर एवं रद्द कर महंगी ट्रेनों को चलाना एक षड्यंत्र - विकास उपाध्याय*
रायपुर (छत्तीसगढ़)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव व छत्तीसगढ़ शासन में संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के रेल यात्रियों की वर्तमान स्थिति पर दृष्टि डालते हुए एक बार फिर भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा ट्रेनें रद्द करवाने पर निशाना साधा है और जनहित के लिए करारा प्रश्न कर केन्द्र की मोदी सरकार को जवाब देने मजबूर किया है। उन्होंने कहा कि पिछले पाँच दिनों में भाजपा की मोदी सरकार व केन्द्रीय रेलमंत्री ने 69 ट्रेनें रद्द करा दी है, जबकि 10 जून तक ज्यादातर ट्रेनें पैक हो चुके हैं एवं टिकटों के लिए मारामारी शुरू हो गई है। जिस पर उन्होंने केन्द्र की मोदी सरकार से पूछा है कि लगभग 01 लाख 09 हजार यात्रियों की यात्रा रद्द कराकर वे साबित क्या करना चाहते हैं? जनता को परेशान करके उन्हें क्या लाभ होगा? जबकि वंदे भारत ट्रेन का टिकट दर अन्य ट्रेनों की अपेक्षा महंगी है। उसके बाद भी लगातार वंदे भारत की ट्रेन को पूरे देश में अलग-अलग स्थानों पर चलाने शुभारंभ किया जा रहा है। विकास उपाध्याय ने कहा कि सस्ती ट्रेनों को बंद कराकर एवं रद्द कर महंगी ट्रेनों को चलाना एक षड्यंत्र है।
विकास उपाध्याय ने कहा कि कोरोना काल 2020 मार्च के बाद से लगातार ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है एवं रेलवे द्वारा दी जा रही सुविधाओं को घटाया जा रहा है जैसे कि बुजुर्गों को टिकट में जो रियायत मिलती थी उसे बंद कर दिया गया, प्लेटफॉर्म टिकट की दर को बढ़ा दिया गया एवं रेलवे की टिकट दर को बढ़ा दिया गया है जबकि मध्यम वर्ग एवं गरीब वर्ग के आवागमन का साधन केवल ट्रेनें हैं। विकास उपाध्याय ने कहा कि आगामी दिनों ग्रीष्मकालीन अवकाश भी चालू हो जाएंगे, ऐसे में फिर कई लाखों यात्री ट्रेनों में जाने की तैयारी में हैं एवं अभी से ही टिकटें करवा रखी हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री जी एवं रेल मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि इन वर्गों के जेबों में डाका डालना बंद करें, वहीं दूसरी ओर जगह-जगह वंदे भारत ट्रेनों का शुभारंभ करने फोटो खींचा कर शुरुआत की जा रही है, वहीं दूसरी ओर सस्ती टिकट दर वाली ट्रेनों को चाहे वो पैसेन्जर हो, लोकल हो या एक्सप्रेस हो, को रद्द किया जा रहा है। आज स्थिति ऐसी है, परीक्षार्थी दूसरे शहरों में परीक्षा देने नहीं पहुँच पा रहे हैं, परिजन अपने परिवार के सुख और दुःख के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। लेकिन केन्द्र की सरकार इसको नजरअंदाज कर अपने अड़ियल रवैये पर अड़ी हुई है। जिसका दुष्प्रभाव यह हो रहा है कि यात्रियों ने प्राइवेट वाहनों की तरफ रूख कर लिया है और ट्रेन की टिकट स्वयं रद्द कर बस से सफर करने मजबूर हो गए हैं, जबकि इनकी दरें ट्रेनों की अपेक्षा 3-4 गुनी ज्यादा हैं। जिसके कारण लगातार देश भर में आम जनमानस सोशल मीडिया के माध्यम से इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।