*इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का नवम् दीक्षांत समारोह संपन्न*
राष्ट्र एवं समाज की उन्नति में सहभागी बनें विद्यार्थी : राज्यपाल कृषि शिक्षा, शोध एवं प्रसार से देश को नई दिशा प्रदान करें : मुख्यमंत्र12 हजार 384 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई 62 स्वर्ण, 140 रजत एवं 23 कांस्य पदक भी प्रदान किए गए
रायपुर, दिनांक 19 अप्रैल 2023। भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी अर्थ व्यवस्था कृषि पर आधारित है। देश की प्रगति के लिए कृषि का विकास तथा किसानों की खुशहाली पहली प्राथमिकता है। कृषि ग्रजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थी नवीन कृषि अनुसंधानों तथा नवाचारों से देश के विकास को एक नई दिशा दे सकते हैं। विद्यार्थियों का यह कर्तव्य है कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग राष्ट्र व समाज की उन्नति में करें। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री विश्वभूषण हरिचंदन ने यह उद्गार आज यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के नवम् दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से आव्हान किया कि वे कृषि शिक्षा, शोध और प्रसार के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान स्थिपित करते हुए समाज एवं राष्ट्र को नई दिशा प्रदान करें। समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रदेश के कृषि, जल संसाधन, पंचात एवं ग्रामीण विकास तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री रविन्द्र चौबे थे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने विद्यार्थियों को दीक्षांत उद्बोधन दिया। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने विद्यार्थियों दीक्षोपदेश दिया।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के सभागार में आयोजित भव्य एवं गरिमामय दीक्षांत समारोह में 12 हजार 384 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी। जिनमें 9 हजार 908 स्नातक, 2 हजार 96 स्नातकोत्तर और 380 पीएचडी डिग्री धारी विद्यार्थी शामिल हैं, इनमें से लगभग साढ़ पांच हजार विद्यार्थियों ने भौतिक रूप से उपस्थित होकर उपाधि प्राप्त की। प्रावीण्य सूची के 62 छात्रों को स्वर्ण, 140 रजत और 23 कांस्य पदक प्रदान किये गये। दीक्षांत समारोह के दौरान भव्य शोभा यात्रा भी निकाली गई जिसमें राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री, कृषि उत्पादन आयुक्त, धरसिंवा विधायक, कुलपति, कुलसचिव एवं विश्वविद्यालय प्रबंध मण्डल के सदस्यगण, विद्या परिषद के सदस्यगण, प्रशासनिक परिषद के सदस्यगण सहित अन्य आमंत्रित अतिथि शामिल हुए।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अनुसंधान और विस्तार शिक्षा प्रदान करके राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के समय इस विश्वविद्यालय में केवल एक कृषि महाविद्यालय था और वर्तमान में कृषि और संबद्ध विषयों के 39 महाविद्यालय हैं। वर्तमान में विश्वविद्यालय में लगभग करीब 15 राज्यों के 11000 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। विश्वविद्यालय ने अब तक 50 से अधिक फसलों की 162 किस्में विकसित और जारी की हैं जो किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। विश्विद्यालय की 12 शोध परियोजनाओं को देश के सर्वश्रेष्ठ शोध परियोजनाओं का पुरस्कार मिल चुका है।
राज्यपाल ने कहा कि लगातार बढती आबादी के भोजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए रासायनिक उत्पादों और नई तकनीको ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। लेकिन रासायनिक खाद के अधिक उपयोग के परिणाम स्वरूप मानव और मिट्टी के स्वास्थ पर बुरा प्रभाव पड़ा। इन समस्याओं के समाधान हेतु जैविक खेती को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। कृषि के विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में अपना योगदान देने की आवश्यकता है। जैविक खेती के प्रयोग से किसान को ने केवल दूरगामी लाभ मिलते हैं, बल्कि उत्पादन लागत में भी 25-30 प्रतिशत की कमी आती है। भूमि की गुणवत्ता और उर्वरता बढ़ाने के साथ-साथ यह भूमि में कार्बन पृथक्करण में भी योगदान देता है। किसानो की आशा और विश्वास को पूरा करने के लिए सभी वैज्ञानिकां, शिक्षकों और विद्यार्थियों को कड़ी मेहनत करनी होगी। विश्वविद्यालय के ज्ञान के निरंतर प्रवाह से राज्य और देश के किसानो को और आम लोगों को लाभ मिलेगा।
समारोह के मुख्य अतिथ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ में हर विधा की उच्च शिक्षा के अवसर तथा सुविधाऐं उपलब्ध कराई गई है। व्यवसायिक शिक्षा के अवसर बढ़ाने के लिए विभिन्न संकायों में नवीन सुविधाओं तथा नवीन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। हमारा प्रयास है कि छत्तीसगढ़ में विकसित हो रही संभावनाओं के लिए कुशल मानव संसाधन व बुनियादी अधोसंरचना तैयार हो। यह गौरव की बात है कि हमने पिछले 4 वर्षो में 19 कृषि से संबंधित नए महाविद्यालय प्रारम्भ किये हैं। वर्तमान में इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत 39 महाविद्यालय कार्यरत है। इसके अतिरिक्त इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत 8 अनुसंधान केन्द्र एवं 27 कृषि विज्ञान केन्द्र पूरे राज्य में फैले हुए है, जो कृषि अनुसंधान एवं उसके व्यापक प्रचार प्रसार में संलग्न रहकर प्रदेश के किसानों के उत्थान में लगे हुए है। राज्य गठन के 22 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इस बीच हमने हर क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। छत्तीसगढ़ अब देश के तेजी से विकास कर रहे राज्यों की श्रेणी में आ चुका है। कृषि को राज्य की उन्नति का उत्प्रेरक मानते हुए कृषि बजट का अलग से प्रावधान किया गया है। हम इस विश्वविद्यालय को देश की दूसरी हरित क्रांति का अग्रदूत बनाने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा पिछले 5 वर्षों में विभिन्न फसलों की 45 से अधिक उन्नत किस्में, 45 खेती के यंत्र एवं 100 से अधिक कृषि तकनीक विश्वविद्यालय ने विकसित की है। विश्वविद्यालय में धान के 23,250 जर्मप्लाज्म हैं, जो कि विश्व में दूसरी नम्बर की सर्वाधिक संख्या है। इसके अतिरिक्त अन्य फसलों की लगभग 6000 किस्में विश्ववि़द्यालय में संग्रहित है। कृषि विश्वविद्यालय एकफसली क्षेत्र को बहुफसली क्षेत्र में परिवर्तित करने, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आय एवं रोजगार के अवसर बढ़ाने हेतु सतत् प्रयत्नशील है।
दीक्षांत समारोह के विशिष्ट अतिथि श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि विगत 35 वर्षों में इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय ने अनेक उपलब्धियॉ अर्जित की है, अधोसंरचनाएं मजबूत की है, नये महाविद्यालय, अनुसंधान केन्द्र एवं कृषि विज्ञान केन्द्र प्रारम्भ हुए हैं तथा शोध, तकनीकी उन्नयन और प्रसार के क्षेत्र में विश्वविद्यालय ने सराहनीय कार्य किया है। विश्वविद्यालय के केन्द्रों ने कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं। साथ ही विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं जैसे अलसी परियोजना, चांवल परियोजना, कृषि मौसम परियोजना, बीज परियोजना, कंद परियोजना इत्यादि को सर्वश्रेष्ठ परियोजना का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इसका लाभ निश्चित ही राज्य को कृषि के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में होगा।
विद्यार्थियों को दीक्षांत उद्बोधन देते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि आज विश्व के समक्ष दो बड़ी चुनौतियां है - जलवायु परिवर्तन तथा कुपोषण। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें जलवायु परिवर्तन का सामना करने में सक्षम नवीन फसल किस्मों का विकास करना होगा। ऐसी किस्मों का विकास करना होगा जो अधिक तापमान सूखा, अधिक वर्षा तथा अन्य विपरीत जलवायविक परिस्थितियों के प्रति सहनशील हों तथा विपरीत परिस्थितियों में भी अधिक उत्पादन देने में सक्षम हों। इसी प्रकार हमें फसलों की अधिक पोषण देने वाली किस्मों का भी विकास करना होगा, जिनमें आवश्यक पोषक तत्व अधिक मात्रा में मौजूद हों। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने पिछले वर्षां में अनेक न्यूट्री रिच किस्में विकसित की हैं। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय विगत कई वर्षां से कृषि शिक्षा, कृषि अनुसंधान तथा कृषि प्रसार के क्षेत्र में निरंतर उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। विश्वविद्यालय ने विभिन्न फसलों की अनेकों किस्मों के जर्मप्लाजम का संग्रह किया है तथा फसलों की अनेक नवीन किस्में विकसित की है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने देश के कृषि विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश के श्रेष्ठ कृषि विश्वविद्यालयों में अपना स्थान बनाया है। यहां के विद्यार्थियों ने न केवल देश प्रदेश बल्कि विदेशों में भी विश्वविद्यालय की पहचान स्थापित की है। उन्होंने विद्यार्थियों से आव्हान किया कि वे देश के विकास में सहभागी बने।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने विश्वविद्यालय की प्रगति का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि 20 जनवरी 1987 को स्थापित विश्वविद्यालय में कृषि एवं कृषि अभियांत्रिकी संकाय के अंतर्गत 36 महाविद्यालय संचालित हैं, जिनमें 31 कृषि महाविद्यालय, 4 कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय एवं 1 खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय हैं। छत्तीसगढ़ शासन ने 3 नये कृषि महाविद्यालय प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय के अंतर्गत 8 अनुसंधान केन्द्र एवं 27 कृषि विज्ञान केन्द्र भी कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयीन व्यवस्था में दीक्षांत समारोह एक महत्वपूर्ण आयोजन है जिसमे उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए भविष्य की योजनाएं आकार लेती हैं। डॉ. चंदेल ने बताया कि इस दीक्षांत समारोह में कुल 12385 छात्रों को उपाधि प्रदान की जा रही हैं। इनमें 9908 स्नातक, 2096 स्नातकोत्तर एवं 380 पी.एच.डी. हैं, तथा 62 छात्रों को स्वर्ण, 140 रतज, 23 कांस्य पदक प्रदान किये जा रहे है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. जी.के. निर्माम ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर धरसींवा विधायक श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, कृषि उत्पादन अयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रबंध मण्डल सदस्यगण, विद्या परिषद के सदस्यगण तथा प्रशासनिक परिषद के सदस्यगण उपस्थित थे।