*2000 करोड़ का शराब घोटाला- मनगढ़ंत, सरकार को बदनाम करने की साजिश*

पत्रकारवार्ता में प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री संगठन, रवि घोष, महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी, धनंजय सिंह ठाकुर, शिवसिंह ठाकुर, सुरेन्द्र वर्मा, सारिक रईस खान, अमित श्रीवास्तव, शशि भगत उपस्थित थे।

*2000 करोड़ का शराब घोटाला- मनगढ़ंत, सरकार को बदनाम करने की साजिश*
*2000 करोड़ का शराब घोटाला- मनगढ़ंत, सरकार को बदनाम करने की साजिश*

रायपुर 18 मई 2023...राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि विगत 1 माह से ईडी द्वारा राज्य में 2019 से 2022 के तीन वर्षों में कथित शराब घोटाले में 2000 करोड़ रू. का भ्रष्टाचार होने एवं सरकार को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। इस पूरे मनगढ़ंत आरोपों की पटकथा 3 साल पहले शुरू हो गयी थी। आसन्न विधानसभा चुनावों को देखते हुये केंद्र सरकार ने ईडी के माध्यम से यह षड़यंत्र रचा है।

आईटी की छापेमारी फेल हो गयी अपने साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाये। आईटी की उसी कार्यवाही को आधार बना कर ईडी कहानी गढ़ रही है। जब ईडी भी साक्ष्य नहीं प्रस्तुत कर पाई तो गन पॉइंट पर डरा धमका कर लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा सरकार को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। सरकार में बैठे लोगों का नाम लेने दबाव बनाया जा रहा है, डराया जा रहा, धमकाया जा रहा। ईडी द्वारा राज्य में गवाहों के साथ किये जा रहे अत्याचार के बारे में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री कपिल सिब्बल द्वारा राज्य सरकार का सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखते हुए यह बताया कि अनवर ढेबर, पप्पू ढिल्लन तथा सारे अधिकारियों (गवाहों) को मुख्यमंत्री जी का झूठा नाम लेने के लिये भी प्रताड़ित किया जा रहा है। श्री कपिल सिब्बल द्वारा यह भी बताया गया कि इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों को प्रताड़ित करने का मुख्य उद्देश्य चुनावी वर्ष में राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को ठप्प करना मात्र है। देश के अन्य किसी भी भाग में ऐसी घटना कभी देखी सुनी नहीं गयी है। श्री सिब्बल के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए बेंच द्वारा ईडी के अधिवक्ता को जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये है।

ईडी की तथाकथित घोटाले की सच्चाई इस प्रकार है-

आईटी के छापों में भी मुख्यमंत्री का नाम लेने का दबाव बनाया गया था। ईडी के छापे में भी लोगों पर मुख्यमंत्री का नाम लेने का दबाव बनाया जा रहा। 

1 27-28 फरवरी 2020 को दिल्ली की आयकर टीम ने राज्य के शराब कारोबार से संबंधित 28 लोगों के यहां छापेमारी की कार्यवाही की गयी थी। इतनी बड़ी कार्यवाही में बरामद चल-अचल संपत्ति की आयकर विभाग द्वारा जानकारी सार्वजनिक नहीं की गयी कि वे छापे पूरी तरह से फेल हो गये थे।

2 उसके पश्चात सभी स्थानों में जब्त मोबाइल फोन से रिकव्हरर्ड व्हाट्सअप चैट्स के आधार पर सभी संबंधितों के ब्यान आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा नई दिल्ली में दर्ज किये गये। शराब से संबंधित सभी कारोबारियों एवं संबंधित अधिकारियों द्वारा राज्य में शराब के व्यवसाय में भ्रष्टाचार होने अथवा बड़ा घोटाला होने के आरोपों को पूरी तरह खारिज किया गया था। आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा लिये गये समस्त ब्यानों की प्रतियां संलग्न हैं। यह उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा लिये गये बयान भी शपथ पत्र पर लिये जाते हैं तथा ब्यान झूठे पाये जाने की दशा में दोषी भारतीय दंड संहिता की धारा 191 एवं 193 के तहत दंड का भागीदारी होता है।

3 वर्ष 2020 में ही दिल्ली के आयकर अधिकारियों द्वारा छत्तीसगढ़ में मारे गये छापों के दौरान जब्त मोबाइल ट्रांसक्रिप्ट्स (जो अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 की अवधि के थे) ई.डी. को भी उपलब्ध करा दिये गये थे।

4 ई.डी. के अधिकारी विगत दो-ढाई वर्षों से आयकर विभाग से प्राप्त रिपोर्ट को दबा कर बैठे रहे। राज्य में विधानसभा चुनाव निकट आने पर आयकर विभाग से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर ईडी द्वारा अचानक 29 मार्च 2023 को पुनः लगभग उन्हीं स्थानों पर छापेमारी की कार्यवाही की गयी, जिन स्थानों पर 3 वर्ष पूर्व आयकर विभाग द्वारा छापे मारने की कार्यवाही की गयी थी। ई.डी. के छापे भी पूरी तरह असफल हो गये क्योंकि इन छापों में चल-अचल संपत्ति की ऐसी बरामदगी नहीं हुई जिसकी जानकारी सार्वजनिक की जा सके।

5 29 मार्च को ई.डी. द्वारा जितने व्यक्तियों के यहां छापा मारा गया उन सब को 30 मार्च की सुबह अवैधानिक रूप से सी.आर.पी.एफ. जवानों की अभिरक्षा में ई.डी. कार्यालय लाया गया। पूरे शहर में यह माहौल बनाया गया कि सभी लोगों को गिरफ्तार करके ई.डी. ऑफिस लाया गया है।

6 ई.डी कार्यालय में देर रात तक सभी को बैठाये रखने के बाद कुछ व्यक्तियों के साथ क्रूरता पूर्वक मारपीट की कार्यवाही आरंभ की गयी ताकि अन्य उपस्थित सभी व्यक्तियों को डराया जा सके। थके-हारे, भयभीत, आतंकित व्यक्तियों द्वारा ई.डी. अधिकारियों द्वारा तैयार बयानों में उन सब के हस्ताक्षर करा लिये गये। उन्हें 31 मार्च की सुबह घर जाने दिया गया तथा शाम को पुनः ऑफिस आने के लिये कहा गया। उन्हें यह कहकर भी धमकाया गया कि यदि वे प्रताड़ना पूर्वक लिखाये गये बयानों के बारे में किसी को जानकारी देंगे तो उनके एवं उनके परिवारजनों को गिरफ्तार कर लिया जायेगा और उन्हें कभी जमानत नहीं मिलेगी।

7 अनेक व्यक्तियों द्वारा यह शिकायत की गयी है महिलाओं को भी देर रात बुलाकर पूछ-ताछ कर धमकाया एवं प्रताडित किया जाता है। देश के अन्य किसी भी भाग में ईडी अधिकारियों द्वारा रात 10ः00-11ः00 बजे के बाद पूछताछ नहीं की जाती किन्तु रायपुर के ईडी के अधिकारियों द्वारा गवाहों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित कर मनचाहे ब्यान पर हस्ताक्षर कराये जाते हैं इसकी पुष्टि ई.डी. कार्यालय के रजिस्टर एवं सीसी.टी.वी. रिकॉर्डिंग से की जा सकती है। शारीरिक मानसिक रूप से थके हुए व्यक्ति के बयानों की कोई अहमियत नहीं है।

8 शराब व्यवसाय से जुड़े सभी संबंधितों से बलपूर्वक लिखे गये ब्यानों के आधार पर राज्य में 2000 करोड़ के कथित शराब घोटाले का प्रचार ईडी द्वारा प्रेस विज्ञप्तियों के माध्यम से करना आरंभ किया गया। सरकार को बदनाम करने के उद्देश्य से यह मीडिया ट्रायल आरंभ किया गया।

9 ई.डी. अधिकारियों द्वारा और भी गवाहों को आहूत कर सभी को जेल भेजने की धमकी देकर भ्रष्टाचार में शामिल होने एवं अवैध राशि रिश्वत के रूप में देने के आरोपों को स्वीकार करने हेतु विवश किया गया। इसका प्रमाण यह है कि इन्ही सब व्यक्तियों ने 3 वर्ष पूर्व उन्ही मोबाइल ट्रांसक्रिप्ट्स के आधार पर लगाये गये भ्रष्टाचार के आरोपों को आयकर विभाग द्वारा लिए गये ब्यानों में पूरी तरह से खारिज किया गया था।

10 ई.डी. अधिकारियों द्वारा कथित शराब घोटाले की अवधि अप्रैल 2019 से मार्च 2022 के बीच की बतायी गयी है। यह उल्लेखनीय है कि ईडी के पास वर्ष 2019-20 की अवधि के मोबाइल ट्रांसक्रिप्ट्स के अलावा अन्य कोई दस्तावेज नहीं है। वर्ष 2021 एवं 2021-22 की अवधि का तो कोई भी दस्तावेजी साक्ष्य ई.डी. के पास नहीं है। इन 2 वर्षों में हुये कथित भ्रष्टाचार का फर्जी प्रमाण शराब व्यवसाय से संबंधित कारोबारियों से ‘गन पॉइन्ट’ पर लिये गये ब्यान मात्र है।

11 वर्ष 2019-20 के ‘‘अनकारोबुरेटेड’’ ट्रांसक्रिप्ट्स एवं झूठे बयानों के आधार पर ई.डी. द्वारा यह दुष्प्रचार आरंभ किया गया कि 3 वर्षों में कथित 2000 करोड़ का घोटाला हुआ। उन्हें कब-कब, कितनी-कितनी राशि किसने दी इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करायी जा रही। सत्य तो यह है कि भाजपा के राजनीतिक आकाओं के इशारे पर ईडी द्वारा राज्य सरकार को बदनाम करने के उद्देश्य से पूर्णतः काल्पनिक आरोप लगाये जा रहे हैं।

12 वर्ष 2020 में आयकर अधिकारियों द्वारा तथा वर्ष 2023 में ई.डी. अधिकारियों द्वारा मारे गये छापे पूरी तरह असफल होने, अवैध राशि प्राप्त होने के कोई साक्ष्य ना होने की खीझ को छुपाने मात्र के लिये ईडी अधिकारियों द्वारा अनवर ढेबर, नवीन केडिया एवं पप्पू ढिल्लन की लगभग 80 करोड़ की संपत्ति अटैच करने की जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सार्वजनिक की गयी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि उक्त तीनों परिवार दशकों से अंचल के संपन्न परिवार है। उनकी कुल संपत्ति अटैच की गयी संपत्तियों से सैकड़ों गुना अधिक है। यह निष्कर्ष भी दोषपूर्ण है कि उनके द्वारा अर्जित संपत्ति 2019 के बाद Proceeds of Crime से अर्जित राशि से ली गयी है।

13 आबकारी राजस्व मद में भाजपा काल से डेढ़ गुना से अधिक की वृद्धि यह प्रमाणित करने के लिये पर्याप्त है कि भाजपा एवं ईडी के राज्य को 2000 करोड़ की क्षति के आरोप निराधार है।

14 उक्त विवरण से स्पष्ट है कि फरवरी 2020 में आयकर छापों में बरामद व्हाट्सअप मात्र के आधार पर दुर्भावना से ग्रस्त होकर ईडी द्वारा 2000 करोड़ के कथित शराब घोटाले का दुष्प्रचार किया जा रहा है। यदि भाजपा नेताओं तथा ईडी के अधिकारियों में जरा भी नैतिकता है तो भ्रष्टाचार के साक्ष्यों सहित प्रमाण न्यायालय अथवा मीडिया के माध्यम से प्रस्तुत करें। अन्यथा राज्य की जनता से राज्य सरकार पर झूठे आरोप लगाकर बदनाम करने के षड़यंत्र की माफी मांगे।

पत्रकारवार्ता में प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री संगठन, रवि घोष, महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी, धनंजय सिंह ठाकुर, शिवसिंह ठाकुर, सुरेन्द्र वर्मा, सारिक रईस खान, अमित श्रीवास्तव, शशि भगत उपस्थित थे।