*मुख्यमंत्री का भाषायी संतुलन बिगड़ना, स्तरहीन बयानबाजी निंदनीय : भाजपा।*

मुख्यमंत्री के तौर पर बघेल कह रहे हैं कि शराबबंदी की हिम्मत नहीं हो रही है। मुख्यमंत्री बघेल बताएँ कि क्या इसे थूककर चाटना नहीं बोलते?

*मुख्यमंत्री का भाषायी संतुलन बिगड़ना, स्तरहीन बयानबाजी निंदनीय : भाजपा।*
*मुख्यमंत्री का भाषायी संतुलन बिगड़ना, स्तरहीन बयानबाजी निंदनीय : भाजपा।*

*रायपुर।* भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कहा है कि लगातार सामने आ रहे घोटालों और भ्रष्टाचार के मद्देनजर आगामी चुनाव में अपनी सरकार की तयशुदा विदाई देखकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। वे लगातार स्तरहीन बयान देकर अपनी राजनीतिक कुंठा का प्रदर्शन कर रहे हैं।

 भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री श्री मूणत ने 2 हजार के नोट चलन से बाहर करने के फैसले के बाद मुख्यमंत्री बघेल के ‘थूककर चाटने’ वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि कालेधन के तौर पर जमा इन नोटों के चलन से बाहर होने पर कांग्रेस को हो रही तकलीफ जनता को समझ आ रही है। श्री मूणत ने कहा कि जिनकी तिजोरियों में 2000 के नोटों की शक्ल में इफरात काली कमाई भरी पड़ी है केवल वही भ्रष्ट लोग इस फैसले से आपा खो रहे हैं। तथाकथित स्वयंभू अर्थशास्त्री भूपेश बघेल कह रहे हैं कि भारतीय मुद्रा का भरोसा खत्म हो रहा है। मुख्यमंत्री का यह कथन देश की मुद्रा का अपमान है। 

भाजपा प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री श्री मूणत ने कहा कि दो हजार के नोट चलन से बाहर करने का फैसला तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का है लेकिन पूर्ण शराबबंदी का वादा करके बघेल सरकार मुकर गई है, तो यह क्या है? युवाओं को रोजगार और दस लाख युवाओं को बेरोजगारी भत्ता का वादा भी कांग्रेस ने किया और वादाखिलाफी करके थूक कर चाटने का काम भी कांग्रेस और उसकी प्रदेश सरकार ने किया। श्री मूणत ने कहा कि सन 2018 के चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष के नाते बघेल समेत तमाम कांग्रेस नेता गंगाजल हाथ में लेकर पूर्ण शराबबंदी की कसमें खाते प्रदेशभर में ढिंढोरा पीट रहे थे और अब मुख्यमंत्री के तौर पर बघेल कह रहे हैं कि शराबबंदी की हिम्मत नहीं हो रही है। मुख्यमंत्री बघेल बताएँ कि क्या इसे थूककर चाटना नहीं बोलते? श्री मूणत ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल अब शराबबंदी से डरने की बात कर रहे हैं। दो हजार के नोट बंद करने के फैसले को ‘थूककर चाटना’ बताने वाले मुख्यमंत्री बघेल अब अपनी अंतरात्मा से पूछें कि जो बयान वे देते हैं, वह कहीं उनके ही राजनीतिक चरित्र में तो चरितार्थ नहीं हो रहा है? थूककर चाटने वाली मुख्यमंत्री बघेल की बात कहीं प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर तो लागू नहीं हो रही है?