दो करोड़ की ठगी का भंडाफोड़ फर्जी आईडी सीबीआई और रिपोर्टर बन कर लोगों को करते थे गुमराह

दो करोड़ की ठगी का भंडाफोड़ फर्जी आईडी सीबीआई और रिपोर्टर बन कर लोगों को करते थे गुमराह

दो करोड़ की ठगी का भंडाफोड़ फर्जी आईडी सीबीआई और रिपोर्टर बन कर लोगों को करते थे गुमराह

एक ठग गिरोह जोकि ईडी सीबीआई और रिपोर्टर बनकर बड़े-बड़े व्यापारियों से ठगी करता था इस गिरोह में करीब 9 से 11 लोग शामिल थे। दुर्ग पुलिस ने इस गिरोह का भंडाफोड़ किया है दरअसल दुर्ग जिले के मोहन नगर थाना क्षेत्र में 27 जून को एक व्यापारी के यहां 2 करोड रुपए की ठगी की गई थी यह आरोपी ईडी अधिकारी बनकर आए थे और सारी रकम अपने कब्जे में लेकर प्रार्थी को भी अपने साथ ले गए थे। बॉलीवुड की एक मूवी से प्रेरित थे और ठगी करने के बाद यह गिरोह इन पैसों से एस किया करता था और अपनी बाकी के जरूरतें भी पूरी किया करते थे यह ठग कर्नाटक मुंबई जैसे कई जगह पर ठगी को अंजाम दे चुके हैं।


यह गिरोह दुर्ग के व्यापारी अखिलेश उर्फ विनीत गुप्ता को दो करोड़ रुपए का चूना लगाकर यहां से निकल गए थे व्यापारी ने अपने दोस्तों से व्यापार के लिए यह बड़ी रकम ली थी पहले इन्होंने व्यापारी को मनी डबलिंग के झांसे में फसाया और जिस कंपनी के बारे में बताया वह भी फर्जी थी उसी कंपनी के आठ में यह आरोपी ठगी किया करते थे इन आरोपियों को दुर्ग पुलिस ने महाराष्ट्र से धर दबोचा, तो अब हम आपको बताएंगे कि यह ठग गिरोह किस तरीके से काम करता था पहले तो इस गिरोह  का एक व्यक्ति व्यापारी को अपने झांसे में बसाया करता था खुद को किसी बड़ी कंपनी का रिप्रेजेंटेटिव बताकर व्यापारी को एक मोटी रकम इंतजाम करने को कहा करता था और जब व्यापारी उस रक्त का इंतजाम कर लेता था तब वह अपने गिरोह को इतना करता और सब के सब ईडी अधिकारी या सीबीआई अधिकारी बनकर वहां आ धमक के थे और रकम लेकर छूमंतर हो जाते थे इसी तरह दुर्ग में भी गिरीश ने जो कि एक एजेंट था रिप्रेजेंटेड बनकर प्रार्थी से बिजनेस के लिए रकम का इंतजाम करने को कहा प्रार्थी अखिलेश उर्फ विनीत गुप्ता ने अपने दोस्तों से बिजनेस के लिए यह 2 करोड रुपए इंतजाम किए उसके बाद जब मास्टरमाइंड तक की जानकारी गई कि पैसे का इंतजाम हो गया तब उसने अपने गिरोह के साथ इस जगह पर धावा बोला और ईडी अधिकारी बनकर आए और छानबीन करके इंतजाम किए गए 2 करोड रुपए को लेकर और प्रार्थी को लेकर वहां से निकल गए। इस पर ऑफिस कर्मचारियों को शक हुआ और उन्होंने दुर्ग पुलिस को सूचना दी‌‌। दुर्ग पुलिस ने जब जांच किया तब उन्हें मालूम हुआ कि व्यापारी को फर्जी ED अधिकारी बनकर यह गिरोह ले गए और उसे राजनांदगांव में छोड़ दिया। व्यापार के बहाने एजेंट के माध्यम से महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ तक इस गिरोह के तार जुड़े थे।


घटना के 6 घंटे के भीतर ही दुर्ग पुलिस ने गिरोह के सभी लोगो की पहचान कर ली गोंदिया से मुंबई तक नाकेबंदी की गई हालांकि इस नाकेबंदी में ये लोग निकल गए क्योंकि इस गिरोह ने अंदर के रस्ते का प्रयोग किया।
दुर्ग पुलिस ने मुंबई में लगातार 8 दिनों तक ऑपरेशन चलाया जिसमें  मुंबई पुलिस का पूरा सहयोग दुर्ग पुलिस को मिला जिसके फलस्वरूप 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया जिसमें से दो लोग नासिक से पकड़े गए यह लोग काफी पहले से ठगी में सक्रिय थे इससे पहले भी मुंबई मे CBI अधिकारी बनकर ठगी कर चुके हैं मुंबई पुलिस ने इस गिरोह को हिरासत में भी लिया लेकिन रकम की रिकवरी नहीं हो पाई थी दुर्ग पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए जल्द से जल्द ही ने पकड़ा और 60% रकम की रिकवरी की दुर्ग पुलिस ने करीब एक करोड़ 26 लाख 16 हजार कैश  और 2 लाख से अधिक की ज्वेलरी जो कि इसी दो करोड़ में से खरीदी गई थी उसे भी रिकवर किया। इस गिरोह ने मुंबई में भी 50 लाख की वारदात को अंजाम दिया था और पांच अलग-अलग लोगों को टारगेट भी किया था।


दुर्ग के व्यापारी से ठगी के मामले में पुलिस को अभी भी  फरार 3 लोगों की तलाश है।